:: मध्यावधि चुनावों के हालात बने तो वन नेशन वन इलेक्शन कैसे संभव होगा?
इन्दौर । पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने वन नेशन वन इलेक्शन को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि देश या राज्यों में मध्यावधि चुनावों के हालात बने तो वन नेशन वन इलेक्शन कैसे संभव होगा? यह फैसला देश के संघीय ढांचे और राज्यों की स्वायत्तता के लिए बड़ी चुनौती है।
इन्दौर में मीडिया से चर्चा के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा कि हमारे देश में अकसर राज्य सरकारें और केन्द्र सरकार अपने पूरे कार्यकाल तक नहीं चला पाती। ऐसे में अगर सभी चुनाव एक साथ होते हैं तो राज्यों की स्वतंत्रता और स्वायत्तता ख़तरे में पड़ सकती है। उन्होने वर्ष 1998 और 1999 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की स्थिति बनने पर क्या राज्य सरकारों को भंग करना संभव होगा। उन्होने कहा कि यह विधेयक इसलिए लाया जा रहा है कि चाहे सरकार के पास बहुमत हो या न हो, सरकार हट नहीं सकती। सरकार का कार्यकाल तय हो जाएगा। टर्म फिक्स हो जाएगा। यह बिल लोकतांत्रिक व्यवस्था का विरोध दर्शाता है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि भारत बहुभाषीय देश, बहुधर्म वाला देश है। संस्कार और संस्कृति इस देश में अलग है। इस तरह के देश में संघीय ढांचे से ही सरकार चल सकती है। वैसे तो इस प्रस्ताव को बहुमत मिलने वाला नहीं है। खुदा न खास्ता बिल पास हो गया तो प्रदेशों में जो सरकारें अभी चुनकर आई हैं, वो पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं करेगी, क्या यह वोटरों के साथ अन्याय नहीं होगा? वन नेशन वन इलेक्शन अव्यावहारिक है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक समरसता बिगड़ती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर प्रश्न चिन्ह लगने लगे है। भाजपा की अंतरकलह सामने आ रही है। इससे पीछा छुड़ाने के लिए यह शिगुफा छोड़ा गया है। शुक्रवार को इन्दौर में न्याय यात्रा में शामिल होने के बाद दिग्विजय सिंह मुंबई के लिए रवाना हुए।