::प्रमुख सचिव और डीजीपी को कहा कि नहीं आने पर प्रतिनियुक्ति की एनओसी निरस्त कर उन्हें भारत वापस बुलाएं::
इन्दौर। हाईकोर्ट की इन्दौर पीठ ने लंबित केस के विवेचना अधिकारी को लंबे समय के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने की अनुमति देने को लेकर शासन के रवैए पर गहरी नाराजगी जताते बीस लाख रुपए की सायबर धोखाधड़ी मामले में जांच अधिकारी रहे तत्कालीन सायबर एसपी और वर्तमान में विदेश में पदस्थ मनीष राय को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई में पेश हों। अगर पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ अवमानना का प्रकरण दर्ज किया जाएगा। हाइकोर्ट ने इसके साथ ही प्रमुख सचिव और डीजीपी को यह भी निर्देश दिया कि नहीं आने पर उक्त पुलिस अफसर को दी गई प्रतिनियुक्ति की एनओसी निरस्त कर उन्हें भारत वापस बुलाया जाए। प्रकरण कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि आरोपी राजेश जो कि एक धोखाधड़ी के एक मामले में 14 मई 2017 से जेल में बंद हैं। उसकी ओर से नौवीं मर्तबा दायर जमानत अर्जी पर हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि प्रकरण के विवेचना अधिकारी तत्कालीन स्टेट सायबर एसपी मनीष राय थे जो बैंकाक में एंबेसी ऑफ इंडिया में चार वर्ष के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए हैं। इस कारण वे ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं जिसके परिणाम स्वरुप प्रकरण लंबित है। कोर्ट को स्टेट सायबर सेल के डीएसपी नरेंद्रसिंह रघुवंशी ने उपस्थित होकर यह जानकारी दी लेकिन इससे भी कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई और पुलिस कमिश्नर या एसपी को उपस्थित होनें के निर्देश दिए। शासन की ओर से बताया गया की उक्त दोनों अफसर फिलहाल शहर से बाहर हैं, इसलिए नहीं आ सकते। वहीं शासकीय अधिवक्ता ने तत्कालीन एसपी मनीष राय द्वारा सायबर एसपी इंदौर को भेजी गई लिखित अंडरटेकिंग कोर्ट के समक्ष पेश की जिसमें उन्होंने अगली तारीख पर ट्रायल कोर्ट में उपस्थित रहने के लिए आश्वस्त किया इस पर कोर्ट ने उक्त निर्देश दिए कि अगली सुनवाई में पेश नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएंगी। साथ ही कोर्ट ने डीजीपी को निर्देशित किया है कि अगली तारीख पर उपस्थित होने के बाद इस केस के अतिरिक्त अन्य जितने भी केस में साक्ष्य रिकार्ड की जाना है, उसे पूरी करके ही वापस भेजा जाएं।